Friday, 24 August 2012

इंदौर के राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र में मानवता को लजा देने वाला एक शर्मनाक वाक्य सामने आया.....

इंदौर के राजेंद्र नगर थाना क्षेत्र में मानवता को लजा देने वाला एक शर्मनाक वाक्य सामने आया.....

अपनी बहन को कतिपय गुंडों की छेड़खानी से बचने में हुए विवाद के चलते इंदौर के एक कोलेज में पढने वाले युवक पर उन चार गुंडों ने चाकुओ से उस पर और उस के साथी अंकित पर जानलेवा हमला किया और फरार हो गए......... रवि दांगी गंभीर रूप से घायल था, हमला तो उसे साथी अंकित पर थी हुआ था पर अंकित ने अपने साथी की गंभीर हालत को देखते हुए, अपने होश संभाले और थाना निकट होने के नाते यह उम्मीद करते हुए की पोलिस वाले उसे इलाज के लिए तुरंत अस्पताल ले जायेंगे, और उन पोलिस वालो के दखल के चलते अस्पताल वाले बिना किसी सवालो के उसके दोस्त का तुरंत इलाज शुरू कर देंगे...........बस यही अंकित से बहुत बड़ी भूल हो गयी, और पोलिस पर उसका मासूमियत सा भरा विश्वास उसे बहादुर दोस्त के लिए जानलेवा साबित ओ गया..........पदिये कैसे......

१. पोलिस को घायल को अस्पताल ले जाने से ज्यादा जरुरी अपनी खानापूर्ति करना लगा....

२. पोलिस घटना के रूप में गंभीर रूप से घायल पीड़ित से व्यंग्यात्मक रूप से पूछताछ करती रही...

३. पोलिस ने अपनी पुछ्ताच्च , खानापूर्ति, और ऍफ़ आई आर दर्ज करने जैसी गैर जरुरी बातो को घायल को अस्पताल ले जाकर उसका इलाज करवाने से ज्यादा जरुरी समझा.

४.पूरी खानापूर्ति में पोलिस ने ४० मिनट गवाए जो की रवि की जान लेने के लिए बहुत ही पर्याप्त थे........

५.अंकित (अंकित को भी चाक़ू मरे गए थे, और उसे खून बह रहा था )को जब किसी पोलिस वाले ने ठाणे के अन्दर आने का इशारा किया तो एक अन्य पोलिस वाले ने उसे बहार ही रहने का कहा और बोला की तेरे अन्दर आने से पुरे ठाणे में खून खून हो जायेगा, थाना गन्दा हो जायेगा, तू बहार ही रह.

६.थाना परिसर में तमाशा देखने के लिए ५० से ज्यादा नागरिक इकट्ठे हो गए थे, पर किसी ने भी ना तो स्वयं ही उस अस्पताल ले जाने में तत्परता दिखाई और ना ही पोलिस वालो से निवेदन किया की गंभीर रूप से घायल और खून बह चुके व्यक्ति को पहले अस्पताल पंहुचा दिया जायेया.

७. वह पहुचे तमाम ( १० से ज्यादा ) पत्रकारों ने भी फोटो खीचने और रिपोर्ट को मसालेदार बनाये जाने को ले कर रूचि ज्यादा थी और घायल को अस्पताल पहुचाया जाए, यह दिलचस्पी कम.....

८.पोलिस की पूछताछ की भाषा विशुद्ध रूप से व्यंग्यात्मक एवं तिरस्कारपूर्ण थी.

९. संलग्न पोलिस वाले ने यहाँ तक की घायल को कैमरा के सामने यह तक कहा की कपडे ऊँचे कर तो और बता कितने गहरे घाव लगे है, जरा तुझे.

१०. मामले का संज्ञान पत्रकारों के बताये जाने तक इलाके के सी एस पि तक को नहीं था.

११. घटना के ६ घंटे बाद हुयी प्रेस कांफेरेंस में डीआई जी इंदौर सुश्री अनुराधा शंकर आश्चर्यजनक रूप से अपने ही महकमे का पक्ष लेते हुए नजर आई और बिना किसी जांच के अपनी पोलिस को क्लीन चित दे दी..........जोर दिए जाने पर अहसान रूप में जताया की फिर भी जांच के आदेश दे दिए गया है.

१२. २४ घंटे में जांच भी पूरी हो गयी, और रवि दांगी के परिवारवालों को जिम्मेदार ठहरा दिया गया की, उन्होंने उसे ठाणे लेन में देरी की, वर्ना तो ठाणे पहुचने के ५ मिनट्स के अन्दर ही ठाणे से उसे अस्पताल रवाना कर दिया गया.

१३. पोलिस जांच में अजीबोगरीब तरीके से आरोपियों के फ़ोन काल के रिकॉर्ड के जरिये, घटना के timmings को ले कर कुछ इस तरह से हेर फेर कर दी गयी और पोलिस को क्लीन चित दे दी गयी...........

अन्तोगत्वा यह सारी कवायद कुच्छ हासिल ना कर सकी, और फिर एक बार प्रतीत हुआ की लालफीताशाही और अफसरशाही तमाम तरह के चाक्चौबंदी पर भरी ही पड़ना है और मीडिया , मानवाधिकार आयोग, जनता आदि के दबाव का असर भी पोलिस की अंदरूनी जांच के आगे बेअसर साबित होता ही दिख रहा है.............

http://ibnlive.in.com/news/man-fights-molesters-bleeds-to-death-at-police-station/284300-3-236.html 

No comments:

Post a Comment

میدان سے باہر، مگر کھیل کے اندر: پرشانت کشور کا نیا سیاسی محاذ - منصوبہ ساز کا داؤ: لڑے بغیر جنگ جیتنے کی تیاری؟

جمیل آحمد ملنسار - موبائل 9845498354 بہار جیسے شور انگیز اور غیر متوقع سیاسی تھیٹر میں، اسکرپٹ شاذ و نادر ہی متوقع پلاٹ پر چلتی ہے۔ تازہ ت...